शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

उसका बचपन ....











आंचल
में मेरे
छिपाता चेहरा उसका बचपन
मैं झांकती उसकी आंखों में
हंसी खिलखिलाती
चमकती उसकी आंखें
भूल जाती मैं
सारी थकान सारी मायूसी
एक हंसी मेरे होठों पर
आ के थिरकती
मां की कही बात पे
यकीन हो उठता मेरा
कहती थी वो
हर मां में यशोदा मां की
ममता छिपी होती है
हर बच्‍चे में
कान्‍हा का हठ होता है
हर थपकी मां की हथेली का
दुलार नहीं होती
निस्‍वार्थ होती मां की ममता
हर बच्‍चे के लिए
किसी एक पे इसका
अधिकार नहीं होता ... !!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. सही लिखा है आपने, निस्‍वार्थ होती मां की ममता|

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  2. मैं झांकती उसकी आंखों में
    हंसी खिलखिलाती
    चमकती उसकी आंखें
    भूल जाती मैं
    ......इस कोमल एहसास के क्या कहने

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  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
    आपको बहुत बहुत बधाई |

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  4. भूल जाती मैं सारी
    थकान बहुत अच्छा।

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  5. मां की ममता कितनी निस्‍वार्थ और पवित्र होती है.. बहुत बढ़िया प्रस्तुति
    आपको बहुत बहुत बधाई | |

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