मंगलवार, 8 मार्च 2011

कोख में पली हूं नौ माह मैं भी तो मां ...












रस्‍म के नाम पर, रिवाज के नाम पर जाने,

कब तक होती रहेगी यूं ही कुर्बान जिंदगी ।

पोछकर अश्‍क अपनी आंख से पूछती जब,

बेटी मां से क्‍यों दी मुझे तूने ऐसी जिंदगी ।

मेरा कोई दोष जो मुझे मिला ये कन्‍या जन्‍म,

क्‍या दर्द, और वेदना बनके रहेगी ये जिंदगी ।

तेरी कोख में पली हूं नौ माह मैं भी तो मां,

आ के धरा में करती हूं मैं तेरी भी बंदगी ।

माना की पराई हूं सदा से लोग कहते आये,

पीर मेरी समझ ली बिन कहे तुमने दी जिंदगी ।

तिरस्‍कृत हुई सहा अपमान भी मैने, नहीं छोड़ा,

फिर भी मैने ईश्‍वर इसे जो मिली मुझे जिंदगी ।

दूंगी संदेश जन-जन को मैं, करूंगी सार्थक जीवन को,

अभिशाप नहीं वरदान अब बेटी बचाओ इसकी जिंदगी ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. kisne kaha tu dard hai , jisne kaha wah dard tha , ehsaason se alag thalag ek patthar sa jiv tha ... jisne kabhi jana hi nahin ki tumse hi ghar ghar kahlaya...

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  2. मार्मिक ... हर पंक्ति में आज का सच लिखा है ....
    पर समय बदल रहा है ... और जल्दी ही बदलेगा ...

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  3. बहुत सुन्दर कविता..बधाई.

    'पाखी की दुनिया' में भी तो आइये !!

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  4. बहुत सुन्दर अच्छी लगी आपकी हर पोस्ट बहुत ही स्टिक है आपकी हर पोस्ट कभी अप्प मेरे ब्लॉग पैर भी पधारिये मुझे भी आप के अनुभव के बारे में जनने का मोका देवे
    दिनेश पारीक
    http://vangaydinesh.blogspot.com/ ये मेरे ब्लॉग का लिंक है यहाँ से अप्प मेरे ब्लॉग पे जा सकते है

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  5. बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति एक बेटी के लिए.. बहुत सुन्दर रचना...

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  6. बेस्ट ऑफ़ 2011
    चर्चा-मंच 790
    पर आपकी एक उत्कृष्ट रचना है |
    charchamanch.blogspot.com

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  7. बहुत सुन्दर अच्छी लगी आपकी पोस्ट

    मैं एक Social worker हूं और समाज को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां देता हुं। मैं Jkhealthworld संस्था से जुड़ा हुआ हूं। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप भी इस संस्था से जुड़े और जनकल्याण के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां लोगों तक पहुचाएं। धन्यवाद।
    HEALTHWORLD

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