मां हर बार तुम
वही रंग ले आती हो
नीला और पीला
हरा और गुलाबी
इस बार कोई
रंग नया लाओ तो
मुझको रंगना है तुमको
भी उस रंग में .....।
हर बार होली के दिन
तुम रसोई में
पकवानों की खुश्बू के बीच
छिप जाती हो
इस बार सारे पकवान
बनने के बाद ही
मैं रंग घोलूंगी
रंगना होगा तुम्हें भी
उस नये रंग में ....।
तब तुम्हारा कोई बहाना
काम नहीं करेगा
गुलाल का टीका
मेरे गालों पर लगाकर
सटाना तुम्हारा वो गाल
मुझे थोड़ी देर के लिये
रोक तो देगा
पर तुम्हें रंग तो खेलना होगा
बोलो खेलोगी न मां ...
मेरे साथ
उस नये रंग में ...।
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जवाब देंहटाएंमेरे गालों पर लगाकर
सटाना तुम्हारा वो गाल...
Wow ...so true ...
My mom used to do that and now I love to do so with my kids.
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मेरे गालों पर लगाकर
जवाब देंहटाएंसटाना तुम्हारा वो गाल..
अप्रतिम भाव...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
pyaar ka rang hota hai maa ka ... sabse pyaara , sabse nyaara
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....प्याती मासूम रचना
जवाब देंहटाएंप्यारी
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ...प्यार से भरी हुई
जवाब देंहटाएंमाँ के साथ रंग खेलना ...वाह बड़ा अच्छा लगेगा
जवाब देंहटाएंवात्सल्य रस छलक रहा है , प्यारी सी रचना में |
जवाब देंहटाएंबहुत खुब, बहुत प्यारी रचना .
जवाब देंहटाएंमैं एक Social worker हूं और समाज को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां देता हुं। मैं Jkhealthworld संस्था से जुड़ा हुआ हूं। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप भी इस संस्था से जुड़े और जनकल्याण के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां लोगों तक पहुचाएं। धन्यवाद।
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