कोई बिटिया मां के आंचल में छिपी कोई मेरे कांधे चढ़ी,
मैं इनकी हंसी के बीच यूं सदा हंसता खिलखिलाता रहा ।
खबर पढ़ता कोई बुरी अखबार में या सुनता कहीं तो
मैं रह-रह के वक्त और हालात पर तिलमिलाता रहा ।
कोई मासूम जान आने से पहले धरा पर कत्ल होती,
तब-तब कोई आंसू मेरी आंख में झिलमिलाता रहा ।
निशाने पे जाने कितनी और ज़ाने होंगी अभी यहां,
बेबसी पर उनकी मेरा अन्तर्मन बिलबिलाता रहा ।
इरादों को इनके नेक नीयत बख्श दे या खुदा अब तो,
बेटियों को नेमत समझें मन में ये इल्तज़ालाता रहा ।
bahut masoom si ...pyari si ...dil se nikli rachna ..HARDIK SHUBHKAMNAYEN .YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC
जवाब देंहटाएंबेटियों को नेमत समझना ही चाहिये।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर भावनाएं ...
जवाब देंहटाएंजाने वो दिन कब आएगा...
सस्नेह.
बहुत सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार !
कल 15/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंइरादों को इनके नेक नीयत बख्श दे या खुदा अब तो,
जवाब देंहटाएंबेटियों को नेमत समझें मन में ये इल्तज़ालाता रहा ।
.....बहुत सारे लोगों की मनोकामना जुडी है आपसे ...काश ! बहुत सुन्दर रचना
आमीन..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव दर्शाती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसच है बेटिया तो वरदान होती है..सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबेशक.....इन नेमतों पर हमें नाज है....ये धरती की आब हैं....!!
जवाब देंहटाएंनवाज देवबंदी की दो लाइनें याद आ रही हैं..
जवाब देंहटाएंवो रुलाकर हस ना पाया देर तक
जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक
नाहलक बेटे तो दर्दे सर बनें
बेटियों ने सर दवाया देर तक
behtreen prastuti, sundar aur bhavpurn kavita.
जवाब देंहटाएंBetiyan ghar ki raunak hain,
Salute to you!
very inspirational .........
जवाब देंहटाएंभाव भरी रचना ह्रदय को छू गई,अति सुन्दर...
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