आपने देखा होगा,
आपने जाना होगा,
दिल ने इजाजत दी हो,
या नहीं,
पर आपने माना होगा ।
रिवाज के नाम पर,
रस्मों की दुहाई देते लोग ।
लहू के नाम पर,
रिश्तों की दुहाई देते लोग ।
जन्म देने वाली,
होती एक मां
फिर भी बेटे को,
कुल का दीपक,
बेटी को पराई ही,
सदा कहते लोग.... थाम के उंगली चलना छोड़ दे ...
पर वो अश्कों की नमी के बीच
हिचकियों के साये में
अटक - अटक कर बोल रही थी
इन शब्दों को
मन द्रवित हो गया ...
माँ
मुझे तुम
खेलने को खिलौना मत दो
पर मेरे मन को
यह मत कहो कि
वह खिलौना देखकर
मचलना छोड़ दे ...
मेरे मन का बच्चा अभी भी
तुम्हारे साये में चलता है
उससे ये मत कहो
कि वो तुम्हारी
थाम के उंगली चलना छोड़ दे ...!!!
मर्मस्पर्शी,सच्चाई है यही...
जवाब देंहटाएंरिवाज के नाम पर,
जवाब देंहटाएंरस्मों की दुहाई,
और ...
लहू के नाम पर,
रिश्तों की दुहाई देते लोग ...
उससे ये मत कहो
कि वो तुम्हारी
थाम के उंगली चलना छोड़ दे .... !!
बहुत बार उस उंगली की जरुरत पड़ेगी .... !!
saty kathan ,sundar rachnaa,
जवाब देंहटाएंman talaashtaa hai ek sahaaraa sadaa
सारगर्भित अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील रचना अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना....
जवाब देंहटाएंद्रवित कर गयी आपकी रचना !
जवाब देंहटाएंमाँ
मुझे तुम
खेलने को खिलौना मत दो
पर मेरे मन को
यह मत कहो कि
वह खिलौना देखकर
मचलना छोड़ दे ...
मेरे मन का बच्चा अभी भी
तुम्हारे साये में चलता है
उससे ये मत कहो
कि वो तुम्हारी
थाम के उंगली चलना छोड़ दे .
आँखों में नमी उतर आई इन पंक्तियों को पढ़ कर ! बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! अंतर को गहराई तक भिगो गया !
जन्म देने वाली,
जवाब देंहटाएंहोती एक मां
फिर भी बेटे को,
कुल का दीपक,
बेटी को पराई ही,
सदा कहते लोग....
Bahut Sunder, sateek panktiyan
संवेदनशील रचना......
जवाब देंहटाएंvery touching...
जवाब देंहटाएंTrue
जवाब देंहटाएंdil ko chhu gai aapki ye behtreen post ---
जवाब देंहटाएंvastav kabhi -kabhi lagta hai ki jisko apne khoon se paal -po
sh kar bada kiya vo parai amanat hoti .
ye kiasa vidhaan hai .
par srishhti ka yahi to niyam hai na---
bahuthi marm-saparshi rachna
poonam
अंतर तक स्पर्श करती सत्य परक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut acchi abhiwayakti....
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
भाव जगत को उद्वेलित करती है यह पोस्ट .नै पुरानी हलचल पर लिंक कम लिए आपका शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंEk beti ke man ke bachhe ka kalrav bakhoobi chitrit kiyaa hai
जवाब देंहटाएंaapne Sada Ji .....
मेरे मन का बच्चा अभी भी
तुम्हारे साये में चलता है
उससे ये मत कहो
कि वो तुम्हारी
थाम के उंगली चलना छोड़ दे ...!!! Wah, Wah ....
संवेदनशील रचना...
जवाब देंहटाएंअंतस में उतरते भाव … बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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