विश्वास का मंत्र
बचपन से ही मेरे कानों में
पढ़ा था मॉं ने
जब भी उछालते थे बाबा
हवा में मुझे
मैं बिना भय के मुस्कराते हुए
इंतजार करती कब वो मुझे
अपनी हथेलियों में थाम लेंगे ...
देखा था मेले में मैने
उस छोटी लड़की को जो
पतली सी रस्सी पर आगे बढ़ते हुए
विश्वास के साथ हर कदम को
मजबूती से रखते हुए ....
यह विश्वास शब्द
कितना छोटा सा है
किसी पर हो जाए तो फिर
आसानी से नहीं टूटता
यदि नहीं है किसी पर तो कोई
कितनी भी कोशिश कर ले उसपर
विश्वास नहीं होता ...
bahut badhiya lagi is par likhi rachnaaye ...dil ke bahut kareeb ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंएकदम सही कहा है,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
bhaut hi khubsurat abhivaykti....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंसच है!!
किसी पर हो जाए तो फिर
आसानी से नहीं टूटता
यदि नहीं है किसी पर तो कोई
कितनी भी कोशिश कर ले उसपर
विश्वास नहीं होता ...
सस्नेह.
कितनी सहजता से आपने विश्वास के मायने बता दिए - हो जाए किसी पर तो आसानी से नहीं टूटता! और यदि नहॊं है तो कोशिशें करने से कायम नहीं होता!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुत्ति
यह विश्वास शब्द
जवाब देंहटाएंकितना छोटा सा है
किसी पर हो जाए तो फिर
आसानी से नहीं टूटता ....
अति सुन्दर भाव की अभिव्यक्ति .... !!
किसी पर हो जाए तो फिर
जवाब देंहटाएंआसानी से नहीं टूटता .sahi bat.
बहुत सुंदर ...विश्वास बड़े से बड़ा काम करा देता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
सच में यह शब्द कितना छोटा है पर इसके भाव इसकी परिधि बहुत बड़ी है इसकी परिधि में जो आ जाता है आसानी से बाहर नहीं जाता यही परिधि रिश्ते कायम करती है |बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.आपके ब्लॉग से पहली बार जुड़ रही हूँ
जवाब देंहटाएंयह विश्वास शब्द
जवाब देंहटाएंकितना छोटा सा है
किसी पर हो जाए तो फिर
आसानी से नहीं टूटता
यदि नहीं है किसी पर तो कोई
कितनी भी कोशिश कर ले उसपर
विश्वास नहीं होता ...!
यथार्थ.....!!
bahut sunder
जवाब देंहटाएंvishwas se bhari rachna
abhaar amantran ke liye
naaz