ख्यालों की नदी में ...हैरानियों का गोता कितना अपना सा लगता है ... जैसे
ये शब्द जहाँ दिल की गहराईयों से वह कहती है जब - माँ तो अल्लाह की इक
रज़ा है जिंदगी बिन उसके तो बस कज़ा है, आँख नम हो आई इन पंक्तियों को
पढ़ते हुये उसके मन का यह कोना कभी - कभी बिल्कुल अपना सा लगता है और उसकी
माँ बिल्कुल अपनी सी लगने लगती है, जिसे वह पृष्ठ दर पृष्ठ मुझे सौंपती
जा रही थी और सच कहूँ तो मेरा जी बिल्कुल नहीं चाह रहा था इसे छोड़ने का
लग रहा था ये पानी का गिलास होता तो एक साँस में ही अपने भीतर उड़ेल लेती
पर ... ये उसकी भावनाएँ थीं जिन्हें मैं जीना चाहती थी बिल्कुल उसकी तरह
जैसे उसने इन्हें शब्द-शब्द नम आँखों से सींचा था कभी वो इनके साथ
मुस्कराई थी तो कर बैठती थी शिकायतें ... आप सोच रहे होंगे शिकायतें जी
हाँ शिकायतों की पूरी पोटली तैयार थी अगले पन्नों पर गुब्बारे से मुँह और
अपलक निहारती सी ये माँ को जब अपनी पोटली खोलने लगी तो मैं अवाक् रह गई और
इसे पढ़ते ही मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी, जब इसकी पहली शिकायत इसकी
पोटली से निकली ... हर वक्त बस काम करती रहती हैं आप, ये भी नहीं सोचतीं
कोई आपके बिन कैसे रहेगा ... तो माँ ने व्यस्तता के बीच कहा अरे
तुम्हारे सामने ही तो हूँ ...तुम्हारे सारे काम कर दिये खाने को दे दिया
तुम्हें तैयार कर दिया अब क्या बाकी रहा, अब तो मैं अपना काम कर ही सकती
हूँ न ... मुझसे बात कौन करेगा ...ओह कितनी चिंतित है यह मुझे विस्मित कर
गई उसकी यह बात .... कुछ विस्मय के पल आगे भी हैं, तो फिर मिलते हैं उन
पलों के साथ जल्दी ही ...
जिज्ञासा जगाती पोस्ट ! अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी !
जवाब देंहटाएंOhhh :)
जवाब देंहटाएंमाँ सब कुछ कर दे फिर भी लगता है कि अभी कुछ और है आगे की कड़ी का इंतज़ार है ...
जवाब देंहटाएंमाँ से ही गुस्सा और फिर माँ से ही प्यार
जवाब देंहटाएंयही तो है अनोखे रिश्ते का संसार ...
बहुत सुन्दर ख्याल सदा | माँ से ऊपर इस कायनात में और कुछ नहीं |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंउत्सुकता बढाती पोस्ट
जवाब देंहटाएंlatest post भक्तों की अभिलाषा
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माँ ... उसके होने ओर न होने बीच का फर्क ... धरती आसमां जितना है ...
जवाब देंहटाएंपरिभाषाओं से परे माँ.......
जवाब देंहटाएंसाभार....
माँ जैसा कोई दूजा ना ..
जवाब देंहटाएंपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "