मुझे एक बच्ची की डायरी मिली,जिसे पढ़ते हुये मैने पाया जिसका शब्द-शब्द अभिषेक करता रहा माँ की ममता का, कभी वो एक सपना देखती नवजात शिशु का जो सफेद कपड़े में लिपटा माँ के बगल में लेटा है और बंद नन्हीं मुट्ठियों के बीच उसने माँ का आँचल पकड़ रखा है इस भय से कि माँ उसे छोड़कर चल न दे, जिस दिन उसे ये सपना आया वो खुशी से रो पड़ी, माँ कितना प्यार करती है उससे, उसे यूँ माँ की ममता मिली और इसतरह वो उस रात की कर्जदार हो गई, उसने इस सपने को जिस दिन देखा तो उसने उगते सूरज से कहा ... सूरज दादा आज तुम जल्दी क्यूँ आ गये माँ चली गई न, उसकी मासूमियत पे किरणें मुस्कराते हुये कहने लगीं चलो हम तुम्हारी माँ का ख्याल बन जाते हैं और हर पल तुम्हारे साथ रहेंगे, माँ के साये की तरह ...
इस सफ़र के अगले पन्ने पर हम जल्दी ही चलेंगे
तब तक बच्ची को माँ के साये में रहने देते हैं
हृदयस्पर्शी.....
जवाब देंहटाएंdil ko chu lene waali panktiyaan
जवाब देंहटाएंकोई माँ का ख़याल बन कर जीवन की तपती धूप में साया बन कर खडा तो हो ! कोई माँ के आँचल की छाँव बन कर ममता से दुलार तो ले ! बहुत मर्मस्पर्शी पोस्ट !
जवाब देंहटाएं:) सु कुमोल भाव लिए अत्यंत सुंदर भावपूर्ण ह्रदयस्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबिलकुल माँ के करीब ...
जवाब देंहटाएंकृन्दन का अभिनन्दन
जवाब देंहटाएंइस सफ़र के अगले पन्ने पर हम जल्दी ही चलेंगे ........
जवाब देंहटाएंबेसब्री से इंतजार रहेगा ....
शुभकामनायें !!
माँ से नज़दीकियाँ
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण प्रस्तुति
सादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमाँ का आँचल तो हमेशा ही साथ रहता है ..... बस एहसास करने की ज़रूरत है ...
जवाब देंहटाएंमन को छूते एहसास. अनुपम कृति, बधाई.
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जवाब देंहटाएंमार्मिक ,दिल को छू गया
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