मॉं कैसे तुम्हें
एक शब्द मान लूँ
दुनिया हो मेरी
पूरी तुम
ऑंखे खुलने से लेकर
पलकों के मुंदने तक
तुम सोचती हो
मेरे ही बारे में
हर छोटी से छोटी खुशी
समेट लेती हो
अपने ऑंचल में यूँ
जैसे खज़ाना पा लिया हो कोई
सोचती हूँ ...
यह शब्द दुनिया कैसे हो गया मेरी
पकड़ी थी उंगली जब
पहला कदम
उठाया था चलने को
तब भी ...
और अब भी ...मुझसे पहले
मेरी हर मुश्किल में
तुम खड़ी हो जाती हो
और मैं बेपरवाह हो
सोचती हूँ
मॉं हैं न सब संभाल लेंगी .....
एक शब्द मान लूँ
दुनिया हो मेरी
पूरी तुम
ऑंखे खुलने से लेकर
पलकों के मुंदने तक
तुम सोचती हो
मेरे ही बारे में
हर छोटी से छोटी खुशी
समेट लेती हो
अपने ऑंचल में यूँ
जैसे खज़ाना पा लिया हो कोई
सोचती हूँ ...
यह शब्द दुनिया कैसे हो गया मेरी
पकड़ी थी उंगली जब
पहला कदम
उठाया था चलने को
तब भी ...
और अब भी ...मुझसे पहले
मेरी हर मुश्किल में
तुम खड़ी हो जाती हो
और मैं बेपरवाह हो
सोचती हूँ
मॉं हैं न सब संभाल लेंगी .....
मॉं की कलम मेरे लिए ....
लगता है
किसी मासूम बच्चे ने
मेरा आँचल पकड़ लिया हो
जब जब मुड़के देखती हूँ
उसकी मुस्कान में
बस एक बात होती है
'मैं भी साथ ...'
और मैं उसकी मासूमियत पर
न्योछावर हो जाती हूँ
आशीषों से भर देती हूँ
कहती हूँ
'मैं तो तुम्हारे पास हूँ ...'
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंकल 09/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमैं अगर अपनी ज़िन्दगी में कुछ मिस करता हूँ तो सबसे ज़्यादा अपनी माँ को ही.... शायद इसीलिए कोई भी औरत जो मेरी माँ की उम्र की होती है या उस उम्र के आस पास-छोटी-बड़ी भी होती है तो मेरे मूंह से सिर्फ "माँ" का ही संबोधन निकलता है.. सच में माँ सिर्फ शब्द ही नहीं है... माँ तो कम्प्लीट इटरनल यूनिवर्स है... माँ की इम्पौरटेंस सिर्फ वही समझ सकता है जिसके पास माँ नहीं है... एक बात और है.. कि जिन बच्चों की माँ नहीं होतीं उन्हें दुनिया बहुत आसानी से इमोशनल फूल बना लेती है.... शायद इसीलिए माँ के पैरों तले स्वर्ग कहा गया है... किसी भी बच्चे को कभी भी बाप की ज़रूरत नहीं होती.. अगर माँ अपने बच्चे को यह बोले कि यह खम्बा... या पेड़ या जो भी तुम्हारा बाप है... तो बच्चा उसे ही बाप समझ लेगा... लेकिन माँ को "माँ" बच्चा पैदा होने से पहले ही जानता है.... बाप की ज़रूरत सिर्फ फ़ाइनेन्शियलि ही होती है... अगर माँ कैपेबल है तो बाप की ज़रूरत नहीं है.. और शायद इसी वजह से दुनिया में बहुत कम बच्चे अपने बाप को याद करते हैं.. लेकिन माँ को हर इंसान हर हालत में याद रखता है....
जवाब देंहटाएंआज आपकी पोस्ट मुझे बहुत अच्छी लगी.. और मुझे आपकी कवितायें बहुत टच कर गयीं.. सच में माँ के बिना (दुनिया) ज़िन्दगी अधूरी लगती है..."माँ" यह सिर्फ शब्द ही नहीं है... यह पूरी कायनात है... एक छोटे से शब्द में पूरी दुनिया है..
मैं अगर अपनी ज़िन्दगी में कुछ मिस करता हूँ तो सबसे ज़्यादा अपनी माँ को ही.... शायद इसीलिए कोई भी औरत जो मेरी माँ की उम्र की होती है या उस उम्र के आस पास /छोटी-बड़ी भी होती है तो मेरे मूंह से सिर्फ माँ का ही संबोधन निकलता है.. सच में माँ सिर्फ शब्द ही नहीं है... माँ तो कम्प्लीट इटरनल यूनिवर्स है... माँ की इम्पौरटेंस सिर्फ वही समझ सकता है जिसके पास माँ नहीं है... एक बात और है.. कि जिन बच्चों की माँ नहीं होतीं उन्हें दुनिया बहुत आसानी से इमोशनल फूल बना लेती है.... शायद इसीलिए माँ के पैरों तले स्वर्ग कहा गया है... किसी भी बच्चे को कभी भी बाप की ज़रूरत नहीं होती.. अगर माँ अपने बच्चे को यह बोले कि यह खम्बा... या पेड़ या जो भी तुम्हारा बाप है... तो बच्चा उसे ही बाप समझ लेगा... लेकिन माँ को "माँ" बच्चा पैदा होने से पहले ही जानता है.... बाप की ज़रूरत सिर्फ फ़ाइनेन्शियलि ही होती है... अगर माँ कैपेबल है तो बाप की ज़रूरत नहीं है.. और शायद इसी वजह से दुनिया में बहुत कम बच्चे अपने बाप को याद करते हैं.. लेकिन माँ को हर इंसान हर हालत में याद रखता है....
जवाब देंहटाएंआज आपकी पोस्ट मुझे बहुत अच्छी लगी.. और मुझे आपकी कवितायें बहुत टच कर गयीं.. सच में माँ के बिना (दुनिया) ज़िन्दगी अधूरी लगती है..."माँ" यह सिर्फ शब्द ही नहीं है... यह पूरी कायनात है... एक छोटे से शब्द में पूरी दुनिया है..
बहुत सुंदर भाव......
जवाब देंहटाएंहाँ माँ सब संभाल लेती हैं......
जवाब देंहटाएंमॉं हैं न सब संभाल लेंगी .....
जवाब देंहटाएंवाकई
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंकोमल से रिश्ते... कोमल से भाव..
सस्नेह.
बहुत सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंSach kaha aapne maa aisi hi hoti hai, hamare sukh dukh her samay hamare saath hoti hai ...bahut sunder prastuti, hardik aabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,,प्यारी रचना है....
जवाब देंहटाएंयह वो जादू है जो केवल एक माँ को ही आता है...और वो सब संभाल लेती हैं बहुत ही सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंकोमल एहसासों से भरी सुन्दर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंसछ में, मान होती ही ऐसी है ..सब कुछ संभाल लेती है... बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंमीठी ,प्यारी सी रचना बहुत ही अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंmaa ... uske aate poori kaynaat badal jati hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर की जाएगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर की जाएगी!
सूचनार्थ!
maa ki aur beti ke antarman ki bhaavnaon ko bakhoobi anjaam diya hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंसंतान प्रेम की परिणति है। प्रेम ही उसका परिणाम होना था।
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