अले! गुड़िया लानी... तुम अभी छोटी हो न इसलिए लोती हो.....मै तो अब बिलकुल नहीं रोती क्योंकि बड़ी हो गई हूँ ना.... पर अब भी छोटे बच्चे जैसे मम्मी की गोद में लेट जाती हूँ तो सब हंसते हैं...वैसे तुम सच कहती हो मम्मी की गोद से प्यारी जगह और कोई नहीं....
मुझे भी रोना आ गया..... मैं तो अब अपनी माँ को बहुत मिस करता हूँ.... कई लोग मुझे कहते हैं कि मैं अपनी मम्मी को लेकर बहुत नोस्टालजिक हूँ... उनके जाने के बाईस साल बाद भी बच्चों की तरह रोता हूँ....
"मां की गोदी में आकर
जवाब देंहटाएंसब कुछ
अच्छा लगता है
इसलिए
कभी-कभी
इतना रोना पड़ता है ....।"
अद्भुत सोच - बहुत बहुत सुद्नर. तस्वीर तो सोने पै सुहागा है.
चित्र और कविता दोनों ममस्पर्शी
जवाब देंहटाएंमां की गोदी में आकर
जवाब देंहटाएंसब कुछ
अच्छा लगता है
जी हाँ माँ की गोदी होती ही है इतनी सुहानी
bhavpuran rachna..
जवाब देंहटाएंचित्र इतना वास्तिक है कि लगता है अभी गोद में उठा लें । और नीचे लिखी पंक्तियां दृश्य को पूरा कर रही हैं ... गोद में जाने के लिए रोना पडता है :)
जवाब देंहटाएंदिल को छूती!!
जवाब देंहटाएंअले! गुड़िया लानी... तुम अभी छोटी हो न इसलिए लोती हो.....मै तो अब बिलकुल नहीं रोती क्योंकि बड़ी हो गई हूँ ना.... पर अब भी छोटे बच्चे जैसे मम्मी की गोद में लेट जाती हूँ तो सब हंसते हैं...वैसे तुम सच कहती हो मम्मी की गोद से प्यारी जगह और कोई नहीं....
जवाब देंहटाएंbahut pyaree rachana.........
जवाब देंहटाएंमुझे भी रोना आ गया..... मैं तो अब अपनी माँ को बहुत मिस करता हूँ.... कई लोग मुझे कहते हैं कि मैं अपनी मम्मी को लेकर बहुत नोस्टालजिक हूँ... उनके जाने के बाईस साल बाद भी बच्चों की तरह रोता हूँ....
जवाब देंहटाएंमुझे यह रचना बहुत अच्छी लगी.... मन को छू गई.....
Sach ek baar fir Maa ki god me rona chahti hooon main
जवाब देंहटाएंDil ko chhu gayi aapki ye rachna
मुझे यह रचना बहुत अच्छी लगी.... मन को छू गई.....
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