मेरे घर की चौखट
आज जगमगाई
देखो नन्ही परी
मेरे घर आई
इसके आने से
आया इसका पलना भी
नाचने वाला बन्दर भी
साथ आई इक गुडि़या भी
इसके लिये आये
इतने खिलौने,
पर हम सबके लिये
बन के आई ये खिलौने सी
इसकी नासमझ आने वाली बोली भी
दिल को छू जाती
हम हंस पड़ते जब
तब ये भी मुस्काती
आंखे उनींदी हो जाती मां जब
इसकी लोरी गाती
कहने को इसकी ढेरों बातें
मेरे घर की चौखट आज ......।
सुन्दर प्यारी सी रचना है !!
जवाब देंहटाएंबधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता....बधाई !
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों तक बाहर रहने की वजह से नेट पर आना नहीं हो पाया.... अब से रेगुलर रहूँगा.....
बहुत सुन्दर रचना...."
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंnanhin pari ne mann ka har kona suvasit ker diya
जवाब देंहटाएंतस्वीर की तरह प्यारी सी रचना बधाई।
जवाब देंहटाएंsimple yet powerful....................
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