पापा की बातें,
करते हैं हम उंगली पकड़ के बच्चों की,
आज भी जब चलते हैं हम,
यादों की गलियों में
बारिश में भीगते हम जब
वो बालों का सुखाना पापा का
मां डांटती जब
पीठ के पीछे छिपाना पापा का
नहीं भूले हम ऐसा कोई लम्हा अभी तक
गर्मियों की रातों में
तारों की छांव में कहानियां सुनाना पापा का....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंमल ..सुंदर ..सहृदय ..कोमल भाव ....!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .
मन को भिगोते बहुत कोमल अहसास...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना ....... तारों में छाँव में कहानी सुनाना पापा का ..... सच में नहीं भूले हैं ...
जवाब देंहटाएंरिश्तों की कोमल डोर को छु दिया आपने..बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंसच में बहुत प्यारी होती हैं पापा की बातें.....
जवाब देंहटाएंbehtreen aur marmsparshi rachna ke liye aaapko hardik badhai
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