शनिवार, 18 जून 2011

पापा की बातें ...








पापा की बातें,

करते हैं हम उंगली पकड़ के बच्‍चों की,

आज भी जब चलते हैं हम,

यादों की गलियों में

बारिश में भीगते हम जब

वो बालों का सुखाना पापा का

मां डांटती जब

पीठ के पीछे छिपाना पापा का

नहीं भूले हम ऐसा कोई लम्‍हा अभी तक

गर्मियों की रातों में

तारों की छांव में कहानियां सुनाना पापा का....

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|| धन्यवाद|

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  2. मल ..सुंदर ..सहृदय ..कोमल भाव ....!!
    सुंदर रचना .

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  3. मन को भिगोते बहुत कोमल अहसास...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  4. बेहतरीन रचना ....... तारों में छाँव में कहानी सुनाना पापा का ..... सच में नहीं भूले हैं ...

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  5. रिश्तों की कोमल डोर को छु दिया आपने..बेहतरीन रचना..

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  6. सच में बहुत प्यारी होती हैं पापा की बातें.....

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