जाने क्यों ....?
वह, आज स्कूल नहीं,
जाना चाहती,
पूछने पर बस,
उसका वही ठुनकना
हम स्कूल नहीं जाएंगे,
जाने क्यों ....?
क्या बात है
मुझे अभी सोना है
रोज-रोज जल्दी
जगा देती हो
उठो ब्रश कर लो
तैयार हो जाओ
जल्दी दूध पी लो
रिक्शे वाला
आता होगा
मम्मा तुम रोज
एक ही बात बोलती हो
जाने क्यों ....?
सब कुछ
एक ही सांस में
बोल गई गुड्डो
मैं हैरान सी
उसकी बड़ी-बड़ी
उनींदी आंखों में
शबनम की बूंदों से
आंसुओ को देख
विचलित हो गई
कहीं मैंने
इसका बचपन
इसके सपने
छीन तो नहीं लिए ....।।
lagta hai, aisa hi lagta hai
जवाब देंहटाएंमम्मा तुम रोज
जवाब देंहटाएंएक ही बात बोलती हो
यह शिकायत तो इधर भी है..... सुंदर रचना
PAHLI BAR IS BLOG PAR AAYI HUN BAHUT ACCHA LAGA. SUNDER RACHNA.
जवाब देंहटाएंफिर भी जाना तो होगा न पढने :):)
जवाब देंहटाएंशायद बचपन खुल कर नही जी पा रहा...तभी ये जिद है...:)
जवाब देंहटाएंहर माँ की व्यथा ......
जवाब देंहटाएंबचपन जिया जाना चाहिए ..ज़रूर
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