गुरुवार, 14 जुलाई 2011

गीत गाए किसी ने ...












थाप ढोलक पर पड़ी
फिर
मंगल गीत गाए किसी ने
रिमझिम फुहारों ने
दामन भिगाया है उसका
आशीषों से ..
शहनाई की धुन
करने लगी जब विदा बेटी को आंगन से
मेघो ने गर्जना की
दिल ने चुपके से आवाज की
रूदन मां का बिलखना बेटी का ..
हो कैसे कलेजा पत्‍थर
फिर बाबुल का ...

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .

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  2. कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  3. हो कैसे कलेजा पत्‍थर
    फिर बाबुल का ...

    लाजवाब ! पिता के कलेजे में भी वैसी ही हूक उठती है !

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  4. दिल ने चुपके से आवाज की
    रूदन मां का बिलखना बेटी का ..
    हो कैसे कलेजा पत्‍थर
    फिर बाबुल का ...

    Very touching creation !

    .

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  5. दिल ने चुपके से आवाज की
    रूदन मां का बिलखना बेटी का ..
    हो कैसे कलेजा पत्‍थर
    फिर बाबुल का ...
    अच्छी पंक्तियाँ

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  6. दिल को छूगई . बहुत सुन्दर.. आभार

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