शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

कविता .......कोई लोरी ममता भरी

पाकर तुझको खुश है

आज मां इतनी

गुनगुना रही

कोई लोरी ममता भरी


चांदनी भी

चांद तारों के संग

जगमगा के

बिखेरती रौशनी मद्धम सी

आ जाए निंदिया

नींद से बोझिल नयनों में

झूला तेरा झुलाती पवन

आती जाती

तेरे चेहरे पे आती जब

मुस्‍कान

उसको सारी दुनिया की

खुशियां मिल जाती ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. लोरी को तो लोग भूल ही गये थे।
    आपने बहुत सुन्दर लोरी पोस्ट की है।
    बधाई!

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  2. मुझे वो लोरी याद आ रही है जो मै अपनी बेटी को सुनाता था ..नन्ही कली सोने चली हवा धीरे आना .. ।

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  3. मुझे आपकी ये रचना बहुत पसंद आई

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  4. बहुत सुन्दर लोरी है लाडली कैसे नहीं सोयेगी इसे सुन कर तो हमे नीन्द आ रही है बधाई

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