तेरी नन्हीं आंखों के सपने,
मेरी आंखों में बसते हैं,
है मेरी हर दुआ तेरे लिए
मुस्कान तेरी,
आंसू मेरे
रोज जाने कितने
जतन करती हर जगह
तेरी खुशियां ढूंढती हूं
सजाती हूं ख्वाब
आंखों ही आंखो
हर आने वाले पल में
तू जब
खुश होकर हंसने लगती
नजर तुझको
लग न जाये मेरी ही
बचाने को
काजल का टीका तुझे लगा देती
फिर तुझे बेफिक्र होकर मैं हंसने देती
बच गई मेरी लाडो बुरी नजर से
बहुत सुन्दर भाव लगे आपकी इस रचना के
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar bhaaw liye huye kawita.........
जवाब देंहटाएंbahut sundar hai aapakee lado ise buree nazar se bachaanaa hi padegaa badhaai
जवाब देंहटाएंइस भावपूर्ण रचना के लिए साधुवाद...वाह
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत ही सुन्दर रचना भाव पूर्ण मेरी बधाई स्वीकार करे
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084