मैं भी ढूंढूगीं नन्हीं हथेलियों से
पलकों को बन्द करके बोली वो ।
छुपन-छुपाई खेल भाया है मन को,
दो, पांच, दस जल्दी गिनके बोली वो।
नहीं दिखता मुझे कोई यहां पर,
जाने कहां छुपा है हमजोली वो ।
कहां चले गये सब भइया आओ न,
दिखते नहीं हो पुकार के बोली वो ।
झांका उसने घुटनों के बल बैठ कर,
कभी फर्श पे लेट कर थक के बोली वो ।