आपने देखा होगा,
आपने जाना होगा,
दिल ने इजाजत दी हो,
या नहीं,
पर आपने माना होगा ।
रिवाज के नाम पर,
रस्मों की दुहाई देते लोग ।
लहू के नाम पर,
रिश्तों की दुहाई देते लोग ।
जन्म देने वाली,
होती एक मां
फिर भी बेटे को,
कुल का दीपक,
बेटी को पराई ही,
सदा कहते लोग.... थाम के उंगली चलना छोड़ दे ...
पर वो अश्कों की नमी के बीच
हिचकियों के साये में
अटक - अटक कर बोल रही थी
इन शब्दों को
मन द्रवित हो गया ...
माँ
मुझे तुम
खेलने को खिलौना मत दो
पर मेरे मन को
यह मत कहो कि
वह खिलौना देखकर
मचलना छोड़ दे ...
मेरे मन का बच्चा अभी भी
तुम्हारे साये में चलता है
उससे ये मत कहो
कि वो तुम्हारी
थाम के उंगली चलना छोड़ दे ...!!!