शनिवार, 18 जून 2011

पापा की बातें ...








पापा की बातें,

करते हैं हम उंगली पकड़ के बच्‍चों की,

आज भी जब चलते हैं हम,

यादों की गलियों में

बारिश में भीगते हम जब

वो बालों का सुखाना पापा का

मां डांटती जब

पीठ के पीछे छिपाना पापा का

नहीं भूले हम ऐसा कोई लम्‍हा अभी तक

गर्मियों की रातों में

तारों की छांव में कहानियां सुनाना पापा का....

गुरुवार, 9 जून 2011

मां को कैसे ....








मां ईश्‍वर का दूसरा रूप !

तुमने सोचा है कभी

जिनके पास मां नहीं होती

उनके बारे में ....

वो मां को कैसे

महसूस करते हैं ...?

बन्‍द करके आंखों को

छवि तलाशते हैं मां की

आंसू भरी पलकों के बीच

मां उसी ओज से

मुस्‍कराती नजर आती है

मां की उंगलियों का स्‍पर्श

सिर पे एक छुअन मां की

माथे पे मां का प्‍यार

पीठ सहलाती हथेली मां की

इन सबके साथ

झिलमिलाती आंखों से

निहारना मां को

एक दर्द प्‍यार भरा

वो मां की दुआएं वो बोली प्‍यारी

बहुत याद आता है हरपल

मां का न होना पास में

आशीषों का खजाना मेरे नाम वाला

जब खो जाता है तो

रूला जाता है हर पल ...बिन मां के ...