![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNkYkUyzs66MFkwouVOnB4BRj2CStIdkyQtndzl8u_-K17WNpqG0mk8sHfoeQPQQKBRAkMhywse6JGCy6fvXOIVxVIl4Z0E4YTfM3QLekmuBWSjeMEDtleLIpH6qSaCjEvT1MCdnFdbnCu/s320/images000.jpg)
आंचल में मेरे
छिपाता चेहरा उसका बचपन
मैं झांकती उसकी आंखों में
हंसी खिलखिलाती
चमकती उसकी आंखें
भूल जाती मैं
सारी थकान सारी मायूसी
एक हंसी मेरे होठों पर
आ के थिरकती
मां की कही बात पे
यकीन हो उठता मेरा
कहती थी वो
हर मां में यशोदा मां की
ममता छिपी होती है
हर बच्चे में
कान्हा का हठ होता है
हर थपकी मां की हथेली का
दुलार नहीं होती
निस्वार्थ होती मां की ममता
हर बच्चे के लिए
किसी एक पे इसका
अधिकार नहीं होता ... !!!