मां ..... ममता है इस मां से हमने क्या-क्या पाया है
कितने पावन शब्दों का साया है मां से शुरू होते शब्द .....
मां का मन या हो मधुरता
मोहक और मधुबन भी हो जाती है,
मां ही मूरत मन्दिर और मुस्कान है
मां ... से होता मन्दिर मक्का और मदीना भी
मां से मस्जिद मां से मौला
मज़हब मां से ये मंत्र है मन्नतों का
मिश्री सी बोली मां की
मदरसे की पहली सीढ़ी मां है
मुहब्बत है मां की ममता
होता नहीं मां जितना कोई महान भी
मित्र भी बनती मुबारक होता मां का होना
मां मेंहदी है मां से ही मेला है
मां से हर रिश्ता है जग में
वर्ना मानुष तन ये अकेला है
मां की दुआ हो तो
हर नामुमकिन भी मुमकिन है
मां ....माध्यम है जग में आने का ... !!!