मंगलवार, 13 मार्च 2012

बेटियों को नेमत समझें ....

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
कोई बिटिया मां के आंचल में छिपी कोई मेरे कांधे चढ़ी,
मैं इनकी हंसी के बीच यूं सदा हंसता खिलखिलाता रहा ।

खबर पढ़ता कोई बुरी अखबार में या सुनता कहीं तो
मैं रह-रह के वक्‍त और हालात पर तिलमिलाता रहा ।

कोई मासूम जान आने से पहले धरा पर कत्‍ल होती, 
तब-तब कोई आंसू मेरी आंख में झिलमिलाता रहा ।

निशाने पे जाने कितनी और ज़ाने होंगी अभी यहां,
बेबसी पर उनकी मेरा अन्‍तर्मन बिलबिलाता रहा ।

इरादों को इनके नेक नीयत बख्‍श दे या खुदा अब तो,
बेटियों को नेमत समझें मन में ये इल्‍तज़ालाता रहा ।

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

विश्‍वास ..... !!!













विश्‍वास का मंत्र
बचपन से ही मेरे कानों में
पढ़ा था मॉं ने
जब भी उछालते थे बाबा
हवा में मुझे
मैं बिना भय के मुस्‍कराते हुए 
इंतजार करती  कब वो मुझे
अपनी हथेलियों में थाम लेंगे ...
देखा था मेले में मैने
उस छोटी लड़की को जो
पतली सी रस्‍सी पर आगे बढ़ते हुए
विश्‍वास के साथ हर कदम को
मजबूती से रखते हुए  ....
यह विश्‍वास शब्‍द
कितना छोटा सा है
किसी पर हो जाए तो फिर
आसानी से नहीं टूटता
यदि नहीं है किसी पर तो कोई
कितनी भी कोशिश कर ले उसपर
विश्‍वास नहीं होता ...