गुरुवार, 14 जुलाई 2011
गीत गाए किसी ने ...
थाप ढोलक पर पड़ी
फिर
मंगल गीत गाए किसी ने
रिमझिम फुहारों ने
दामन भिगाया है उसका
आशीषों से ..
शहनाई की धुन
करने लगी जब विदा बेटी को आंगन से
मेघो ने गर्जना की
दिल ने चुपके से आवाज की
रूदन मां का बिलखना बेटी का ..
हो कैसे कलेजा पत्थर
फिर बाबुल का ...
बुधवार, 6 जुलाई 2011
जाने क्यों ....?
जाने क्यों ....?
वह, आज स्कूल नहीं,
जाना चाहती,
पूछने पर बस,
उसका वही ठुनकना
हम स्कूल नहीं जाएंगे,
जाने क्यों ....?
क्या बात है
मुझे अभी सोना है
रोज-रोज जल्दी
जगा देती हो
उठो ब्रश कर लो
तैयार हो जाओ
जल्दी दूध पी लो
रिक्शे वाला
आता होगा
मम्मा तुम रोज
एक ही बात बोलती हो
जाने क्यों ....?
सब कुछ
एक ही सांस में
बोल गई गुड्डो
मैं हैरान सी
उसकी बड़ी-बड़ी
उनींदी आंखों में
शबनम की बूंदों से
आंसुओ को देख
विचलित हो गई
कहीं मैंने
इसका बचपन
इसके सपने
छीन तो नहीं लिए ....।।
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