कभी मां गौरेया कहती,
कभी कहती नन्हीं चिडिया
कभी कहती शैतान
मां के यह प्यारे
सम्बोधन सुनकर
मैं रह जाती हैरान
मेरी पलकों के सपने
जाने कब
वह अपनी आंखों में ले लेती
और मुझे सिर्फ
हौसला देती आगे बढने का
अपने पंखों में मुझको छुपा कर
मुझे हर तूफान से बचाती
और मेरे लिये तो
बस सारी दुनिया वही हो जाती
मेरे हर सवाल का जवाब
उसके पास होता था
सिवाय इस के
जब मैं भावुक होकर कहती
तुम बहुत अच्छी हो
तो एक मुस्कान के साथ कहती
बेटा हर मां
अपने बच्चे के लिये
अच्छी होती है
और हर बच्चा
अपनी मां का प्यारा होता है ...
बुरे तो बस हालात हो जाते हैं
जिनके आगे
हम लाचार हो जाते हैं ...।