सोमवार, 16 अगस्त 2010

शीशे में यदि ....


नन्‍ही परी मेरी

घुटनों के बल चलती है,

खड़े होने की कोशिश में

कभी वह सहारा लेती है

मजबूत चीजों का,

कभी उसके हांथ में टेबिल

आ जाती है

तो कभी पलंग का कोना,

कभी वह ड्रेसिंग टेबिल पकड़ती,

और फिर उस पर रखती अपने खिलौने,

तब उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता,

शीशे में यदि दिख जाता

उसे अपना चेहरा ....।