शनिवार, 6 नवंबर 2010

फुलझड़ी की चमक ....


रौशनी करते ही फुलझड़ी की

चमक उठी नन्‍हीं की आंखे भी

उसने भी अपनी छोटी सी हथेली को

फैलाया उसे पकड़ने के लिऐ

रौशनी में उसका उछलना

हर्षित कर गया मन को

दो न ...मुझे भी .. जलाना है ...

हमारा डर ...उसकी खुशी

हमारा रोकना ...उसका पकड़ना

फुलझड़ी को ...उसके पास ले गया ...

पता ही नहीं चला ...

उसके यह शब्‍द

दीवाली में आपके लिए .....