शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

कविता .......कोई लोरी ममता भरी

पाकर तुझको खुश है

आज मां इतनी

गुनगुना रही

कोई लोरी ममता भरी


चांदनी भी

चांद तारों के संग

जगमगा के

बिखेरती रौशनी मद्धम सी

आ जाए निंदिया

नींद से बोझिल नयनों में

झूला तेरा झुलाती पवन

आती जाती

तेरे चेहरे पे आती जब

मुस्‍कान

उसको सारी दुनिया की

खुशियां मिल जाती ।

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

बच गई मेरी लाडो बुरी नजर से ...

तेरी नन्‍हीं आंखों के सपने,

मेरी आंखों में बसते हैं,

है मेरी हर दुआ तेरे लिए

मुस्‍कान तेरी,

आंसू मेरे

रोज जाने कितने

जतन करती हर जगह

तेरी खुशियां ढूंढती हूं

सजाती हूं ख्‍वाब

आंखों ही आंखो

हर आने वाले पल में

तू जब

खुश होकर हंसने लगती

नजर तुझको

लग न जाये मेरी ही

बचाने को

काजल का टीका तुझे लगा देती

फिर तुझे बेफिक्र होकर मैं हंसने देती

बच गई मेरी लाडो बुरी नजर से

सोमवार, 10 अगस्त 2009

नन्ही मुस्कुराहट


तारो की पोटली,

खुलकर गिरी कही..

जब मिली तो एक तारा कम था,

मद्धम रोशनी में,

ज़मीन पर देखा

तो एक नन्ही मुस्कुराहट

उंगली थाम के चली

आई आँगन में..

खिलखिलाती रहती है

अब गालो पे हमारे..

और मुड़ कर देखती है पीछे...

जब भी प्यार से

कोई कहता है... लवी...


हमारी बिटिया लविज़ा के लिए हमारे अज़ीज़ दोस्त कुश ने

एक नज़्म लिखी थी. जिसके प्रस्‍तुतकर्ता हैं सैय्यद अकबर

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

यह है बेटियों का ब्‍लाग लाडली -

यह है बेटियों का ब्‍लाग लाडली -

मन को छू लेते हैं अक्‍सर वो पल, जब कोई नन्‍हीं कली आपके जीवन, में लाती है खुशियां अनगिनत आप साझा करें उन पलों को अपनी रचना के किसी भी रूप में चाहे वह कविता, हो या कहानी, गजल हो या छंद बस आप उसे यूनिकोड में एक ई-मेल करें इस पते पर -
E-mail : ladlisada@gmail.com,
http://ladli-sada.blogspot.com/

सोमवार, 3 अगस्त 2009

मन को छू लेते हैं अक्‍सर वो पल
जब लाडली बेटी आपके आंगन का
हर कोना महका देती है,
अपनी मुस्‍कान से,
आइये साझा करें उन खुशियों को .... ।