तेरी गोद ने
ममता और दुलार के साथ ही
मां मुझे सिखलाया है
कठिनाईयों से लड़ना,
हालात कितने भी बुरे हों
उनसे लड़कर उबरना
जाने कितने ऐसे पल दिये
मुझको
जिनसे संवारती हूं
मैं अपनों की खुशियां
साकार होते देखती हूं मैं
तेरी दी हुई शिक्षा ने
दिया है एक विशाल हृदय
समेटने को दर्द, आंसू,
सहेजने को विश्वास
लुटाने को ममता, दया
कठोरता का आवरण ओढ़कर भी
भीतर से
बिल्कुल फूलों सी
कोमल ही हूं .....।
मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.......
जवाब देंहटाएंRegards........
तेरी दी हुई शिक्षा ने
जवाब देंहटाएंदिया है एक विशाल हृदय
समेटने को दर्द, आंसू,
सहेजने को विश्वास
लुटाने को ममता, दया
कठोरता का आवरण ओढ़कर भी
भीतर से
बिल्कुल फूलों सी
कोमल ही हूं .....।
सुंदर कविता !
मां ही पहली शिक्षक होती है । अच्छी रचना ,बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. बहुत कोमल. बहुत सशक्त.
जवाब देंहटाएंकठोरता का आवरण ओढ़कर भी
जवाब देंहटाएंभीतर से
बिल्कुल फूलों सी
कोमल ही हूं ..
वाह बहुत ही सुन्दर. बधाई.
मेले घल आई एक नन्हीं पली ......मुझे बहुत अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंमई इसे लोज सुनती हूँ ......Thank you didi...
मुझे यह रचना बहुत अच्छी लगी.... मन को छू गई.....
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